लेखनी प्रतियोगिता -09-Jan-2023 फॉरेस्ट ऑफिसर
योगेश फॉरेस्ट ऑफिसर था। योगेश मंसूरी से कुछ किलोमीटर आगे चंपा के जंगलों में अपनी सरकारी कोठी में पत्नी साधना के साथ रहता था।
चंपा के पहाड़ों की जंगल की सुबह बहुत ही खूबसूरत थी। जब सुबह योगेश अपनी पत्नी साधना के साथ कोठी के आंगन में बैठकर चाय पीता था, तो उस समय बहुत ही सुंदर रंग बिरंगी चिड़ियां उनके आसपास दाना चुगने आती थी। चिड़ियों की ची ची की आवाज योगेश और साधना को बहुत अच्छी लगती थी।
योगेश जब खाने का टिफिन लेकर जीप से ड्यूटी जाता था तो रोज उसकी जीप में एक बंदर का बच्चा उछल कूद करता हुआ उसे मिलता था। योगेश के ड्यूटी जाने के बाद, वह बंदर का बच्चा योगेश की कोठी के आसपास शाम तक उछल कूद करके खेलता रहता था। योगेश की पत्नी साधना बंदर के बच्चे को खाने पीने का सामान रोज देती थी।
घर का काम करते हुए, आसपास जंगली जानवरों को खेलते कुदते देखते हुए, साधना को पता भी नहीं चलता था कि कब सुबह से शाम हो गई। साधना और योगेश के सबसे अच्छे पड़ोसी पक्षी और जानवर ही थे।
योगेश और साधना जब रात को खाना खाते थे, तो साधना पूरे दिन की जंगली जानवरों और पक्षियों की बातें योगेश से करती थी और बहुत खुश होती थी। अपनी पत्नी साधना को इतना खुश देखकर योगेश को भी बहुत खुशी होती थी। जंगली जानवरों और पक्षियों के साथ योगेश और साधना का जीवन बहुत ही खुशी से बीत रहा था।
योगेश को कभी-कभी इस बात की बहुत चिंता होती थी की मैं और मेरी पत्नी साधना इस कमजोर रिश्ते की वजह से इन पक्षियों और जानवरों के साथ जीवन भर नहीं रह पाएंगे।
और एक दिन योगेश का तबादला शहर के फॉरेस्ट ऑफिस में हो जाता है। और योगेश को मजबूर होकर जंगल के जंगली जानवर और पक्षियों को छोड़कर, अपनी पत्नी साधना के साथ शहर जाना पड़ता है।
शहर में योगेश को बड़ी मुश्किलों से भीड़ भाड़ इलाके में एक घर किराए पर रहने के लिए मिलता है। उस मकान के आगे एक रोड था, उस रोड पर गाड़ी मोटर लगातार चलती रहती थी। योगेश के ऑफिस जाने के बाद साधना को उस गाड़ी मोटरों के शोर-शराबे में पूरा दिन बिताना पड़ता था। उस शोर-शराबे में साधना को जंगल के पक्षियों जानवरों की बहुत याद आती थी।
शहर के प्रदूषण की वजह से साधना का स्वस्थ खराब रहने लगता है। जितना वह जंगल के जीवन मैं खुश रहते थे, उतना वह शहर की भीड़भाड़ शोर-शराबे में खुश नहीं रह पाते थे।
और एक दिन योगेश अपनी पत्नी साधना को खुशखबरी देता है कि मैंने देहरादून में एक मकान खरीद लिया है। और अपन तबादला भी देहरादून के ऑफिस में करवा लिया है। योगेश की यह बात सुनकर साधना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। योगेश और साधना दोनों देहरादून के मकान में रहने चले जाते हैं।
देहरादून के मकान में पहुंचने के बाद जब योगेश और साधना सुबह अपने मकान के आंगन में बैठकर चाय पीते हैं तो उन्हें ऐसा महसूस होता है कि चंपा के जंगलों की सुबह वापस लौट कर आ गई।
और उसी ही समय रंग बिरंगी चिड़ियां उनके आस पास आकर ची ची करके दाना चुगने लगती है। साधना चिड़ियो को देखकर जल्दी से घर के अंदर से उनके लिए अनाज के दाने खाने के लिए लाती है। साधना के चेहरे पर इतने दिनों बाद खुशी की मुस्कान देखकर योगेश को बहुत ही खुशी होती है।
योगेश जैसे ही अपनी जीप के पास पहुंचता है, तो जीप के अंदर एक भालू के बच्चे को उछल कूद करता देख साधना को आवाज देकर बुलाता है। योगेश और साधना भालू के बच्चे की शरारत देखकर तेज तेज हंसने लगते हैं।
और औरयोगेश साधना से कहता है की "मैंने देहरादून में मकान खरीद कर जीवन भर के लिए पक्षियों और जानवरों के साथ अपने अधूरे रिश्ते को पूरा कर दिया है।"
प्रिशा
04-Feb-2023 07:49 PM
Very nice
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Mahendra Bhatt
13-Jan-2023 10:21 AM
शानदार
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:06 PM
Nice 👍🏼
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